Rajasthan hospital-flat foot surgury by dr rahul upadhya

जयपुर बच्चे के पग का आर्च जन्म के बाद समय रहते नहीं बनाना और यह चपटा रह जाने को फ्लैट फुट की समस्या कहते हैं। वैसे तो यह असामान्य विकार नहीं है, पर इस चपटेपन की वजह से सामान्य जीवन बसर, चलना फिरना, देर तक खड़े रहना, खेल कूद में हिस्सा नहीं ले पाना अथवा नौकरी में इस चपटेपन की वजह से नकारा जाना व्यक्ति के जीवन पर बहुत बड़ा असर डालता है। जूतों में बदलाव करना यह इसका पारम्परिक इलाज है। 

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जयपुर स्थित राजस्थान अस्पताल के फुट एंकल सर्जन डॉ राहुल उपाध्याय ने 22 वर्षीय युवक के फ्लैट फुट अर्थात चपटे पाँव का पहली बार सर्जरी द्वारा इलाज किया। इस ऑपरेशन में हड्डी के टेढ़ेपन की सर्जरी, मांसपेशियों की कमजोरी का सुधार, कुछ अन्य सॉफ्ट टिश्यू का इलाज, जैसी प्रक्रियाओं को शामिल कर पूर्ण रूपेण आर्च निर्मित किया गया। 

 

गौरतलब है कि सर्जरी से पुनः निर्मित यह आर्च परमानेंट होता है। इस मरीज को अब चलने फिरने में, खेल में हिस्सा लेने में, सामान्य सभी की तरह खड़े रहने में परेशानी नहीं आएगी। डॉ राहुल का कहना है कि बाल्य काल में अथवा उपयुक्त समय रहते इस सर्जरी को करने का और भी अधिक फायदा  मिल सकता है। 

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सेना में भर्ती हेतु फ्लैट फुट एक रुकावट है और नॉर्मल आर्च रहते हुए इस विकल्प को भी रुकावट बनने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि कम उम्र में कम विकलांगताएं बनती है और उसके अनुसार कम खर्च, कम हॉस्पिटल स्टे, त्वरित रिकवरी, इन बातों का भी  फायदा मरीज को मिलता है.

 

राजस्थान अस्पताल (जहां यह प्रक्रिया संपन्न हुई) के चेयरमैन, डॉ एस एस अग्रवाल ने इस उपलब्धि पर संतोष जाहिर करते हुए कहा जिन युवा माता पिता के बच्चे को ऐसी समस्या हो उन्हें विकलांगता बने अथवा बढे उससे पूर्व ही यह सर्जिकल प्रोसिजर करवाना चाहिए। 

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