भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लाखों लोगों ने भाग लिया इनमें कई प्रमुख राजनीतिक नेतृत्व के लिए पहचाने गए यह वह शख्सियत
रहे जो लाखों लोगों को एकत्रित कर एक सही दिशा में ले जाकर अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होकर प्रदर्शन करवाने में सफल रहे
इन नेताओं में प्रमुख नेता लोकमान्य तिलक बाल गंगाधर तिलक जिन का मूल नाम केशव गंगाधर तिलक था रहे लोकमान्य इन
इसलिए कहा जाता है क्योंकि पूरे भारतवर्ष में इन्हें समान रूप से सभी राज्यों में एक नायक के रूप में स्वीकृत किया गया
अंग्रेज इनसे काफी घबराते थे और वह लोकमान्य तिलक को ही भारतीय अशांति के पिता कहते थे उनके अनुसार लोकमान्य
तिलक के कारण ही भारत में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की ज्वाला बढ़ती जा रही है और भारतीय राजनीति अशांति की तरफ
जा रही है जिससे अंग्रेजों को हमेशा खतरा रहा लोकमान्य तिलक एक सच्चे भारतीय राष्ट्रवादी थे उन्होंने समाज सुधार के भी
काफी काम किए वे छुआछूत के विरोधी थे इसके साथ ही वह शिक्षक के रूप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका उन्होंने निभाई
एक वकील के रूप में वह हमेशा भारतीय राजनीति में जाने जाएंगे उन्होंने कई ऐसे केस लड़े जिससे राष्ट्रहित में काफी फायदा
हुआ लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान राज्य के सबसे मजबूत वकीलों में थे
लोकमान्य तिलक जी का सबसे प्रमुख नारा स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म birth of bal gangadhar tilak
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई अट्ठारह सौ छप्पन को महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के गांव चिखली में हुआ
शिक्षक के रूप में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक bal gangadhar tilak as teacher
ग्रामीण क्षेत्र में पैदा होने के बावजूद यह अपनी योग्यता के बल पर पूरे देश में छा गए आधुनिक शिक्षा पाने वाली भारतीय
पीढ़ी में से यह एक थे इन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कॉलेजों में गणित पढ़ाया शिक्षक के रूप में यह काफी प्रसिद्ध रहे
लेकिन हमेशा उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा का विरोध किया यह मानते थे इस अंग्रेजी शिक्षा के कारण ही भारतीय अपनी सभ्यता के
खिलाफ होते जा रहे हैं क्योंकि अंग्रेज इसमें ऐसी शिक्षा देते हैं ताकि भारतीय अंग्रेजो के खिलाफ ना जा सके उन्होंने डेक्कन
शिक्षा सोसायटी की स्थापना की थी भारत में शिक्षा का स्तर सुधरे और लोग अंग्रेजी शिक्षा के प्रति ज्यादा आकर्षित नहीं हो सके
राजनीतिज्ञ के रूप में लोकमान्य तिलक
एक राजनीतिज्ञ के रूप में लोकमान्य तिलक की राजनीतिक यात्रा काफी मजबूत रहेगी लोकमान्य तिलक जी ने इंग्लिश में
मराठा दर्पण में मराठी में केसरी नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू की है यह दोनों समाचार पत्र जनता में काफी प्रसिद्ध हुए
लोकमान्य तिलक जी ने अंग्रेजों द्वारा की जा रही भारतीयों के शोषण और भारतीय संस्कृति के प्रति जो अंग्रेजों की भावना थी
उसकी बहुत आलोचना की उन्होंने मांग की कि ब्रिटिश सरकार भारत को पूर्ण स्वराज्य दे और यहां से चले जाएं केसरी में छपने
वाले लेखों की वजह से लोकमान्य तिलक जी को कई बार जेल भेजा गया लोकमान्य तिलक जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में
शामिल हुए लेकिन वह कांग्रेस के नेताओं केअंग्रेजो के प्रति रवैया के विरुद्ध बोलने लगे उन्हें लगा कि अंग्रेजों को कोई फर्क नहीं पड़ने
वाला है और उनके खिलाफ खड़े होना ही पड़ेगा
आल इण्डिया होम रूल लीग
जेल पूरी होने के बाद बाल गंगाधर तिलक जी ने एनी बेसेंट और जिन्ना के साथ होमरूल लीग की स्थापना की होमरूल
आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक की को काफी प्रसिद्धि मिली इनके कारण उन्हें लोकमान्य की उपाधि दी गई
लोकमान्य तिलक का सामाजिक योगदान और विरासत
तिलक में ब्रिटिश राज के खिलाफ सबसे पहले पूर्ण स्वराज्य की मांग उठाई लोकमान्य तिलक ने महाराष्ट्र में गणेश उत्सव और
शिवाजी उत्सव मनाना प्रारंभ किया उत्सव उन्होंने सप्ताह भर के रखें ताकि अधिक से अधिक लोग वहां एकत्रित हो सके और
उत्सव के साथ साथ वह देश प्रेम अंग्रेजों के अन्याय के विरुद्ध भी एकत्रित हो सके इस उत्सव का काफी फायदा मिला लाखों
लोगों के अंदर जनजागृति पैदा हुई यह उत्सव आज भी महाराष्ट्र में प्रमुख रूप से मनाए जाते हैं और हमेशा लोकमान्य तिलक
उत्सव के कारण याद किया जाता है
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु
1 अगस्त 1920 को मुंबई में उनकी मृत्यु हो गई उनकी मृत्यु उपरांत श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत
का निर्माता कहा और नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रांति का जनक कहा
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुस्तक
श्रीमद भगवत गीता रहस्य मांडले जेल में लिखी गई बाल गंगाधर तिलक की सबसे प्रसिद्ध कृति है जिसका देश के अलग-
अलग राज्यों में कई भाषाओं में अनुवाद हुआ
- 'द ओरिओन' (The Orion)
- द आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज (The Arctic Home in the Vedas, (1903))
- The Hindu philosophy of life, ethics and religion (१८८७ में प्रकाशित).
- Vedic Chronology & Vedang Jyotish (वेदों का काल और वेदांग ज्योतिष)
बाल गंगाधर तिलक भारतीय राजनीति में क्यों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं
बाल गंगाधर तिलक सबसे पहले हिंदू प्रतीक बाद मराठा परंपराओं को राष्ट्रवादी आंदोलन में पेश किया इनके द्वारा शुरू किए गए गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव के द्वारा लाखों लोगों को अंग्रेजो के खिलाफ एकत्रित किया गया उसके कारण महात्मा गांधी द्वारा भी ने आधुनिक भारत का निर्माता और जवाहरलाल नेहरू द्वारा विभाग भारतीय क्रांति के जनक के रूप में कहा गए
बाल गंगाधर तिलक की मान्यताएं क्या थी
बाल गंगाधर तिलक ने सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ निष्क्रिय प्रतिरोध का कार्यक्रम तैयार किया जिसमें अंग्रेजों के कोई भी
कार्य नहीं करने की प्रेरणा दी इसी के कारण आगे चलकर गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया वह इसी कार्यक्रम का प्रेरणा
का कारण बना इसके अलावा ब्रिटिश राज के खिलाफ राष्ट्र के रूप में हिंदू धर्म गणेश उत्सवऔर शिवाजी उत्सव का प्रचलन
शुरू किया इसके अलावा जिन्ना के साथ लखनऊ समझौता समझौता किया जिससे हिंदू-मुस्लिम एकता की मजबूत आधारशिला
बनी
बाल गंगाधर तिलक कैसे शिक्षित हुए?
बाल गंगाधर तिलक की शिक्षा पूना (अब पुणे) के डेक्कन कॉलेज में हुई, जहाँ उन्होंने गणित और संस्कृत में स्नातक की उपाधि
प्राप्त की। फिर उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय (अब मुंबई) में कानून का अध्ययन किया। बाद में वह एक शिक्षक बन गए, जो
उनके राजनीतिक जीवन का आधार बन गया
बाल गंगाधर तिलक का नाम स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख रूप से क्यों लिया जाता है
भारत में सबसे पहले पति की और बहुत ज्यादा बड़ी आबादी को अंग्रेजो के खिलाफ उत्साहित किया गया इस सरकार के खिलाफ संघर्ष में उन्हें लाया गया राज दलों के नेता लोगों के नेता की उपाधि से सम्मानित किए गए
बाल गंगाधर तिलक कैसे बने महत्वपूर्ण?
बाल गंगाधर तिलक की सक्रियता, हिंदू प्रतीकवाद और मराठा इतिहास की अपील करते हुए, आबादी को उत्साहित
करती है और उन्हें ब्रिटिश सरकार के साथ संघर्ष में लाती है। राजद्रोह के लिए उनके अभियोजन ने उन्हें और
अधिक लोकप्रियता हासिल की, जिससे उन्हें लोकमान्य ("लोगों के प्रिय नेता") की उपाधि मिली।
बाल गंगाधर तिलक के वचन quotes of bal gangadhar tilak
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा !
- हो सकता है ये भगवान की मर्जी हो कि मैं जिस वजह का प्रतिनिधित्व करता हूँ उसे मेरे आजाद रहने से ज्यादा मेरे पीड़ा
- में होने से अधिक लाभ मिले।
- भूविज्ञानी पृथ्वी का इतिहास वहां से उठाते हैं जहाँ से पुरातत्वविद् इसे छोड़ देते हैं, और उसे और भी पुरातनता में ले
- जाते हैं।
- धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने
- लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की
- सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।
- भारत की गरीबी पूरी तरह से वर्तमान शासन की वजह से है।
- यदि भगवान छुआछूत को मानता है तो मैं उसे भगवान नहीं कहूँगा।
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