Pradhanmantri matasya sampada yojna fish machli palan

                                                             

 

 

 

                                                        प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना  (पीएमएमएसवाई) मत्स्य क्षेत्र पर केन्द्रित और सतत विकास योजना है, जिसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2  024-25 तक पांच साल की अवधि के दौरान सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है और इस पर अनुमानित रूप से 20,050 करोड़ रुपये का निवेश होना है। पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 20,050 करोड़ रुपये का निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला सबसे ज्यादा निवेश है। इसमें से लगभग 12,340 करोड़ रुपये का निवेश समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में लाभार्थी केन्द्रित गतिविधियों पर तथा 7,710 करोड़ रुपये का निवेश फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रस्तावित है।

पीएमएमएसवाई के उद्देश्यों में 2024-25 तक मछली उत्पादन अतिरिक्त 70 लाख टन बढ़ाना, 2024-25 तक मछली निर्यात से आय 1,00,000 करोड़ रुपये तक करना, मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय दोगुनी करना, पैदावार के बाद नुकसान 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना तथा मत्स्य पालन क्षेत्र और सहायक गतिविधियों में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना शामिल हैं।

पीएमएमएसवाई को मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता प्रौद्योगिकी, उपज के बाद के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे और प्रबंधन, मूल्य निर्धारण श्रृंखला के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण, मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचे और मछुआरों के कल्याण के रास्ते में आने वाली कमियों को दूर करने के उद्देश्य से बनाया गया है। नीली क्रांति योजना की उपलब्धियों को मजबूत करने के उद्देश्य से, पीएमएमएसवाई के जरिए कई नए हस्तक्षेपों की परिकल्पना की गई है जिसमें मछली पकड़ने के जहाजों का बीमा, मछली पकड़ने के जहाजों/नावों के  उन्नयन के लिए मदद, बायो-टॉयलेट्स,  लवण/क्षारीय क्षेत्रों में जलीय कृषि, सागर मित्र, एफएफपीओ/सीएस, न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर,  मत्स्य पालन और जलीय कृषि स्टार्ट-अप्स, इन्क्यूबेटर्स, इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क, इंटीग्रेटेड कोस्टल फिशिंग विलेज डेवलपमेंट, एक्वाटिक प्रयोगशालाओं के नेटवर्क और उनकी सुविधाओं का विस्तार, पहचान सुविधा, प्रमाणन और मान्यता, आरएएस, बायोफ्लोक एंड केज कल्चर, ई-ट्रेडिंग/विपणन, मत्स्य प्रबंधन योजना आदि शामिल है।

यह योजना मुख्य रूप से परियोजना में आवश्यकतानुरूप निवेश करते हुए मत्स्य समूहों और क्षेत्रों के निमार्ण पर केन्द्रित है। इसमें मुख्य रूप से रोजगार सृजन गतिविधियों जैसे समुद्री शैवाल और सजावटी मछली की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह मछलियों की गुणवत्ता वाली प्रजातियों की नस्ल तैयार करने तथा उनकी विभिन्न प्रजातियां विकसित करने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास और विपणन नेटवर्क आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित करती है।

अब तक इस योजना के तहत मत्स्य विभाग ने पहले चरण में 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1723 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इसके तहत आय सृजन गतिविधियों को प्राथमिकता दी गई है।

बिहार में पीएमएमएसवाई योजना के लिए 535 करोड़ रुपये की केन्द्र की हिस्सेदारी के साथ 1390 करोड़ रुपये के निवेश की तैयारी है। इसके तहत राज्य में 3 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। चालू वित्त वर्ष (2020-21) के दौरान, भारत सरकार ने पुनःसंचरित एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), बायोफ्लोक तालाबों के निर्माण और फिन फिश जैसी प्रजातियों के प्रजनन की सुविधा, सजावटी मछली की खेत, जलाशयों/वेटलैंड्स, प्रशीतन केन्द्रों और प्रशीतन वाहनों, आइस बॉक्स के साथ मोटर साइकिल, आइस बॉक्स के साथ तीन पहिया, आइस बॉक्स के साथ चक्र में पिंजरों की स्थापना, मछली फ़ीड संयंत्र तथा मत्स्य केन्द्रों और उनसे संबंधित सेवाओं के विस्तार और ब्रूड बैंक आदि के लिए बिहार सरकार के लिए कुल 107.00 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी है।

मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित अन्य उद्घाटन

प्रधानमंत्री सीतामढ़ी में मछली ब्रूड बैंक और किशनगंज में एक्वाटिक डिजीज रेफरल प्रयोगशाला की स्थापना की घोषणा करेंगे, जिसके लिए पीएमएमएसवाई के तहत सहायता प्रदान की गई है। ये सुविधाएं मछली किसानों के लिए गुणवत्ता और सस्ती दर पर मछली बीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करके मछली उत्पादन और उसकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगी और मछलियों के रोग निदान के साथ-साथ पानी और मिट्टी की परीक्षण सुविधाओं की आवश्यकता को भी पूरा करेंगी।

प्रधानमंत्री नीली क्रांति के तहत मधेपुरा में फिश फीड मिल की एक इकाई और पटना में 'फिश ऑन व्हील्स' की दो इकाइयों का उद्घाटन करेंगे। वे इस अवसर पर लाभार्थियों के साथ बातचीत भी करेंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार में व्यापक मछली उत्पादन प्रौद्योगिकी केंद्र का भी उद्घाटन करेंगे। केंद्र मछली बीज उत्पादन प्रौद्योगिकी और मछली के लिए प्रदर्शन इकाई प्रौद्योगिकी, रेफरल प्रयोगशाला और नैदानिक परीक्षण की सुविधाओं के साथ मछली उत्पादन को बढ़ावा देने और मछली किसानों की क्षमता निर्माण में सहायता करेगा।

ई-गोपाला ऐप

ई-गोपाला ऐप किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए एक समग्र नस्ल सुधार, बाज़ार और सूचना पोर्टल है। वर्तमान में देश में पशुधन का प्रबंधन करने वाले किसानों के लिए ऐसा कोई डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है, जहां सभी रूपों (वीर्य, भ्रूण, आदि) में रोग मुक्त जीवाणु (जर्मप्लाज्म) खरीदना और बेचना, गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाओं की उपलब्धता (कृत्रिम गर्भाधान, पशु प्राथमिक चिकित्सा, टीकाकरण, उपचार आदि) और पशु पोषण के लिए किसानों का मार्गदर्शन करना, उचित आयुर्वेदिक दवा/एथनो पशु चिकित्सा दवा का उपयोग करते हुए जानवरों का उपचार आदि की जानकारी मिलती हो। पशु किसानों को अलर्ट भेजने (टीकाकरण, गर्भावस्था निदान आदि के लिए नियत तारीख पर) या उन्हें क्षेत्र में विभिन्न सरकारी योजनाओं और अभियानों के बारे में सूचित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ई-गोपाला ऐप इन सभी पहलुओं पर किसानों को समाधान प्रदान करेगा।

पशुपालन क्षेत्र से संबंधित अन्य उद्घाटन

प्रधानमंत्री बिहार के पूर्णिया में ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के तहत स्थापित की गई अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त वीर्य केंद्र (सीमेन स्टेशन) का उद्घाटन करेंगे। बिहार सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई 75 एकड़ भूमि पर 84.27 करोड़ रुपये के निवेश से यह केंद्र स्थापित किया गया है। यह सरकारी क्षेत्र के सबसे बड़े वीर्य केंद्रों में से एक है जिसकी उत्पादन क्षमता 50 लाख वीर्य खुराक प्रति वर्ष है। यह वीर्य केंद्र बिहार की स्वदेशी नस्लों के विकास एवं संरक्षण को भी नया आयाम देगा और इसके साथ ही पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों की वीर्य खुराक की मांग को पूरा करेगा।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत पटना स्थित पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में स्थापित आईवीएफ लैब का उद्घाटन करेंगे। शत-प्रतिशत अनुदान सहायता के जरिए देश भर में कुल 30 ईटीटी और आईवीएफ लैब (प्रयोगशालाएं) स्थापित की जा रही हैं। ये लैब देशी नस्लों के बेहतरीन पशुओं का वंश बढ़ाने और इस प्रकार दूध उत्पादन एवं उत्पादकता को कई गुना बढ़ाने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

प्रधानमंत्री बिहार के बेगूसराय जिले में बरौनी मिल्क यूनियन द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत कृत्रिम गर्भाधान में लिंग पृथक्कृत वीर्य के उपयोग का भी शुभारंभ करेंगे। ‘एआई’ में लिंग पृथक्कृत वीर्य के उपयोग के जरिए केवल मादा बछड़ों का ही जन्म सुनिश्चित किया जा सकता है (90% से भी अधिक सटीकता के साथ)। इससे देश में दूध उत्पादन की वृद्धि दर को दोगुना करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री किसान के घर की चौखट पर आईवीएफ तकनीक के प्रदर्शन का भी शुभारंभ करेंगे। इससे अत्यंत तेज दर से अधिक प्रजनन क्षमता वाली पशुओं की संख्या को कई गुना बढ़ाने की प्रौद्योगिकी का प्रचार-प्रसार होगा क्योंकि इस प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिए वे एक वर्ष में 20 बछड़ों को जन्म दे सकती हैं।

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