<टिड्डी के नियंत्रण में स्प्रेयर अब कम दाम में आसानी से उपलब्ध होंगे >

 


                                                                           


 


 


 


<टिड्डी के नियंत्रण में वाहन पर लगे यूएलवी स्प्रेयर के नमूने का परीक्षण; व्यावसायिक पेशकश के लिए

 

                                         आवश्यक स्वीकृतियों पर काम जारी>

 


 


मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत अजमेर और बीकानेर में सफल रहा टिड्डी के नियंत्रण में वाहन पर लगे यूएलवी स्प्रेयर के

 

नमूने का परीक्षण; व्यावसायिक पेशकश के लिए आवश्यक स्वीकृतियों पर काम जारी


आयातित उपकरणों की सीमाओं से पार पाने के लिए कृषि, सहकारिता एवं कृषक कल्याण विभाग (डीएसीएंडएफडब्ल्यू) मेक


इन इंडिया पहल के अंतर्गत टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए वाहन पर लगे यूएलवी स्प्रेयर के देश में विकास की चुनौती को


स्वीकार किया है। इस पहल के तहत डीएसीएंडएफडब्ल्यू की यंतत्रीकरण एवं प्रौद्योगिकी विभाग को एक भारतीय विनिर्माता के


माध्यम से नमूना (प्रोटोटाइप) हासिल हुआ है। राजस्थान के अजमेर और बीकानेर जिले में इस स्प्रेयर के परीक्षण सफल रहे हैं।


व्यावसायिक रूप से इसकी पेशकश के लिए अन्य स्वीकृतियों पर काम जारी है। यह एक बड़ी सफलता है, क्योंकि इससे टिड्डी


दल पर नियंत्रण के लिए बेहद अहम उपकरण के लिए आयात पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।


वर्तमान में इस स्प्रेयर युक्त वाहन की एक मात्र आपूर्तिकर्ता एम/एस माइक्रोन स्प्रेयर्स, यूके है। फरवरी, 2020 में इस कंपनी को


60 स्प्रेयर की आपूर्ति के लिए ऑर्डर जारी किया गया था। विदेश मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय इन उपकरणों की


आपूर्ति बढ़ाने के काम में लगी हुई हैं। यूके में भारतीय उच्चायोग भी नियमित रूप से कंपनी से संपर्क में बना हुआ है और


स्प्रेयर की शीघ्र आपूर्ति की निगरानी की जा रही है। अभी तक 15 स्प्रेयर हासिल हो चुके हैं। बाकी 45 स्प्रेयर की आपूर्ति एक


महीने के भीतर पूरी हो जाएगी।


हालांकि, टिड्डियों के नियंत्रण में उपयोग होने वाले स्प्रेयर युक्त ग्राउंड कंट्रोल वाहन से सिर्फ 25-30 फुट ऊंचाई तक ही स्प्रे


किया जा सकता है। ट्रैक्टर पर चलने वाले स्प्रेयर की दुर्गम क्षेत्रों में और ऊंचे पेड़ों तक पहुंचने की भी सीमाएं हैं। इसलिए, हवाई


स्प्रे के विकल्प की संभावनाओं को खंगाला जा रहा था।


एक समीक्षा के दौरान, केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने निर्देश दिए कि टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन


के उपयोग की संभावनाओं को खंगाला जाना चाहिए। नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) द्वारा जारी वर्तमान नीतिगत


दिशानिर्देश कीटनाशकों के भार के साथ ड्रोन के उपयोग की अनुमति नहीं देते हैं, इसलिए डीएसीएंडएफडब्ल्यू ने एमओसीए


से इस संबंध में अनुमति देने का अनुरोध किया था और नागर विमानन मंत्रालय ने 21.05.2020 को टिड्डी नियंत्रण को ड्रोन


परिचालन के लिए पौध संरक्षण निदेशालय, संगरोध एवं भंडारण, फरीदाबाद (डीपीपीक्यूएंडएस) जैसी सरकारी इकाई सशर्त


छूट की स्वीकृति दे दी थी। 22.05.2020 को केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड ने भी टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन, विमान और


हेलिकॉप्टरों के द्वारा कीटनाशकों के हवाई छिड़काव की मानक संचालन प्रक्रिया को स्वीकृति दे दी थी।


एमओसीए द्वारा दी गई सशर्त मंजूरी के क्रम में टिड्डी नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन की सेवाएं


उपलब्ध कराने को दो कंपनियों को पैनलबद्ध किया गया है। इन कंपनियों ने जयपुर (राजस्थान) और शिवपुरी (मध्य प्रदेश) में


कुछ परीक्षण किए हैं। 27.05.2020 को हुई कैबिनेट सचिव के स्तर की समीक्षा बैठक के क्रम में उसी दिन सचिव, कृषि,


सहकारिता एवं कृषक कल्याण के साथ सचिव, नागर विमान मंत्रालय, एनडीएमए तथा पवन हंस के प्रतिनिधियों की बैठक हुई।


इस दौरान हवाई स्प्रे उपकरण से युक्त हेलिकॉप्टर/एयरक्राफ्ट की उपलब्धता के मुद्दे और टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन की


अधिकतम तैनाती की रणनीति पर विचार-विमर्श हुआ। अतिरिक्त सचिव, डीएसीएंडएफडब्ल्यू की अध्यक्षता, सदस्य के रूप में


एमओसीए, पवन हंस, डीजीसीए, एयर इंडिया और डीएसीएंडएफडब्ल्यू के अधिकारियों की मौजूदगी वाली एक अधिकार प्राप्त


समिति का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य ड्रोन, एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर के माध्यम से कीटनाशकों के हवाई


छिड़काव के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद को आसान बनाना था।


इसके बाद अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिश पर पांच कंपनियों (प्रति कंपनी 5 ड्रोन) को ड्रोन देने के लिए वर्क ऑर्डर जारी


किए गए हैं। सभी पांच सेवा प्रदाता कंपनियों ने राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर और फलोदी (जोधपुर) जिले


में काम करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में चरणबद्ध तरीके से 12 ड्रोन तैनात किए जा चुके हैं। दुर्गम क्षेत्रों और ऊंचे पेड़ों


पर प्रभावी नियंत्रण में ड्रोन के उपयोग का अनुभव खासा संतोषजनक रहा है। ड्रोन की तैनाती से रेगिस्तानी टिड्डी पर प्रभावी


नियंत्रण सुनिश्चित करने में टिड्डी सर्किल कार्यालयों की क्षमताओं में एक अन्य आयाम जुड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि


संगठन (एफएओ) ने दुनिया का ऐसा पहला देश बनने पर भारत की सराहना की है, जो ड्रोन के माध्यम से रेगिस्तानी टिड्डी पर


नियंत्रण कर रहा है।



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